राष्ट्रभाषा में सरताज है हिंदी
सुमधुर, सरस,सरल ,आवाज है हिंदी ,
हिंदी है मातृभाषा संस्कार इसी से—
समृद्ध करें और भी व्यवहार इसी से,
बड़ी ही पावन, निर्मल, निश्चल सी भाषा,
तुलसी की यह, रहीम की रसखान की भाषा,
मीरा कभी सूर के वरदान की भाषा,
पढ़ने में लिखने मे ,बड़ी ही आसान सी भाषा,
यूं तो अनेक देशों की भाषाये है अनेक—
लेकिन अपनी राष्ट्रभाषा देवनागरी है विशेष,
कवियों की लेखकों की प्रिय यह भाषा,
हर गजल ,कविता में खूब इसे तराशा,
हिंदी दिवस है आज किंतु बात तब बने—
प्रत्येक दिन ही वर्ष में हिंदी दिवस मने,
हिंदी थी, हिंदी है ,हिंदी ही रहेगी,
यह अपनी मातृभाषा है,
युगो युगांतर तक इसकी जोत जलती रहेगी,
आओ नमन करे सभी, अपनी है हिंदी भाषा,
रहेगी जीवित सदा, अपनी यही अभिलाषा,
संगीता वर्मा, ✍️✍️
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