तन कितना भी सुन्दर हो,
यदि बुद्धि विवेक का साथ नहीं,
तन की सुन्दरता व्यर्थ लगे,
जब-तक मन सुन्दर न होगा,
तन की सुन्दरता का मोल नहीं,
मन निर्मल बुद्धि तीक्ष्ण हो,
सुन्दर तन में निवास करे,
सुन्दर तन, सुन्दर मन,
जब एक साथ मिल जाए,
ऐसा व्यक्तित्व बनकर मिसाल,
इतिहास रचे पथ प्रवर्तक बन जाए।
स्वरचित मौलिक