मुझे तेरी जरूरत हो रही है….
एक तूं ही मेरी आदत हो रही है….
आंखों से तुम्हारी देखो जरा,
आंखों से मेरी शरारत हो रही है….
टकराने लगी हूं दिवारों से दिन के उजाले में,
न जानूं मन में कैसी ये हसरत हो रही है….
निहारूं मैं आईना रोजाना
जमाने में देखो कयामत हो रही है….
जागने लगी हूं अंधेरी रातों में मुस्कुराऊं अकेले में,
कहें रातें मुझसे ख्यालों में ही तुमसें बात हो रही है….
क्यों करना मिलने का कोई बहाना
नींदों में ही तुमसे मुलाकात हो रही है….
संभालें से ना संभले ये नादान दिल मेरा,
मुझे धीरे धीरे तुमसे मोहब्बत हो रही है….
कु. आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश