हमारा भारतवर्ष सदियों से महानायक- युगपुरूषों के लिए विश्व भर में विख्यात रहता चला आ रहा है। एक ऐसे ही महानायक श्रेणी को सुशोभित करने वाले व्यक्तित्त्व के स्वामी थे- “स्वामी विवेकानंद जी” जिनका बचपन का नाम नरेन्द्र था। वे बहुत ही कुशाग्र बुद्धि वाले बालहठी धे। बचपन से वे अपनी हठधर्मिता के लिए प्रसिद्ध रहे। कहा जाता है कि उनकी हठधर्मिता को परिपूर्ण करने के लिए स्वयं बिट्ठल भगवान को भी भोग लगाने आना पड़ा धा।
आज मैं इस पृष्ठ के माध्यम से ऐसे अद्वितीय महान विभूति को स्मरण, नमन व वंदन करते हुए असंख्य श्रद्धासुमन समर्पित करती हूँ -:🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏
• स्वामी जी का सूक्ष्म परिचय -:
स्वामी विवेकानन्द वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था।
जन्म की तारीख और समय –:
12 जनवरी1863, कोलकाता।
मृत्यु की जगह और तारीख –:
4 जुलाई 1902, बेलूर मठ, हावड़ा।
शिक्षा –:
स्कॉटिश चर्च कॉलेज (1884)
माता-पिता –:
श्री विश्वनाथ दत्त, श्रीमती भुवनेश्वरी देवी।
भाई -: भूपेन्द्रनाथ दत्त।
स्वामी विवेकानंद की जयंती को हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। भारतीय दर्शन, अध्यात्म, सांस्कृतिक धरोहर, तरुणाई एवं ऊर्जा के प्रतीक विवेकानंद अल्पायु में ही सूचनाओं, ज्ञान एवं प्रज्ञा का अमूल्य खजाना छोड़ गए। उनके जन्मदिवस को हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्री रामकृष्ण परमहंस के समर्पित एवं उत्साही शिष्य, विवेकानंद ने भारत में हिंदू धर्म के पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे अपने प्रसिद्ध 1893 शिकागो भाषण के लिए जाने जाते हैं। 1984 में, भारत सरकार ने उनकी जन्मतिथि को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया और यह 1985 से मनाया जा रहा है। इस दिवस को पूरे भारत में स्कूलों और कॉलेजों में भाषणों, जुलूसों, सेमिनारों के साथ-साथ अन्य जगहों पर भी मनाया जाता है।
• राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास और महत्व –:
यह दिन 1984 में भारत सरकार द्वारा स्थापित किया गया था, लेकिन पहली बार 1985 में मनाया गया था। भारत सरकार ने माना कि वे भारतीय युवा दिवस के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत हो सकते हैं जो स्वामीजी के दर्शन और आदर्शों के लिए काम करते हैं। स्वामी विवेकानंद भारत के महानतम आध्यात्मिक नेताओं में से एक थे जिन्होंने वैश्विक मंच पर वेदांत और योग की भारतीय शिक्षाओं और प्रथाओं की प्रारम्भतः महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 19वीं शताब्दी के अंत में अंतर्धार्मिक जागरूकता बढ़ाने, हिंदू धर्म को एक प्रमुख वैश्विक धर्म की स्थिति में लाने का श्रेय दिया जाता है। इसके अलावा, वह भारत में समकालीन हिंदू सुधार आंदोलन में एक प्रमुख शक्ति बन कर उभरे और इस घटना ने औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रवाद की अवधारणा में योगदान दिया।
• राष्ट्रीय युवा दिवस उत्सव का स्वरूप –:
स्वामी विवेकानंद जी का मंतव्य था कि जो कुछ भी हमें आध्यात्मिक, शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर बनाता है, उसे जहर की तरह निरस्त कर दिया जाना चाहिए। इसको ध्यान और योग की मदद से आशावादी विचार धारा से बदला जाना चाहिए। यही कारण है कि उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन पूरे देश में स्कूलों और कॉलेजों में भाषणों, युवा सम्मेलनों, निबंध प्रतियोगिताओं, योगासनों, संगोष्ठियों आदि के साथ मनाया जाता है। साथ ही, छात्रों को स्वामी विवेकानंद के लेखन और भारत के लिए उनके उल्लेखनीय कार्यों पर व्याख्यान दिए जाते हैं। इतना ही नहीं, उनकी जयंती पर, रामकृष्ण मठ के विभिन्न केंद्रों में मंगल आरती, विशेष पूजा, होम (अग्नि-अनुष्ठान), ध्यान, भक्ति गीत, धार्मिक प्रवचन और संध्या-आरती की जाती है। देशभर में स्वामी जी के व्यक्तित्व एवं साहित्य की प्रदर्शनी भी आयोजित की जाती है।जहाँ से बच्चे भी छोटी-छोटी पुस्तकें खरीदने को उत्साहित होते हैं, फिर साहित्य तो किसी न किसी रूप में मन- मस्तिष्क में हलचल मचा कर अपना रंग दिखाता ही है। यह बात हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए सर्वथा लाभप्रद थी, है और रहेगी।
धन्यवाद!
लेखिका –
सुषमा श्रीवास्तव
उत्तराखंड।