(शेर)किसी ने साथ नहीं दिया तो क्या हुआ, यह जिंदगी तो साथ है।
बस जिंदगी से तु मत हो नाराज, कामयाबी तेरे साथ है।।
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मत बना जिंदगी को ऐसे उदास, जिंदगी को समझ जिंदाबाद तु।
मत तो निराश जिंदगी से ऐसे, जिंदगी को कर आबाद तु।।
मत बना जिंदगी को ऐसे———-।।
सब तरह के मिलेंगे इंसान तुम्हें, कोई करेगा मदद, कोई लूटेगा तुम्हें।
कहीं कांटें ,कहीं पर मिलेंगे फूल, कोई नफरत, कोई प्यार करेगा तुम्हें।।
तु मत हो परेशान किसी नफरत से, जिंदगी को बना मत फसाद तु।
मत बना जिंदगी को ऐसे———–।।
माना कि मंजिल बहुत दूर है, और थक चुका है तु चलते हुए।
साहिल तुझे नहीं नजर आ रहा है, डगमगाने लगी है किश्ती बढ़ते हुए।।
मत छोड़ हिम्मत, किश्ती बढ़ा तु , बढ़ता चल आगे होकर नाबाद तु।
मत बना जिंदगी को ऐसे———–।।
मत बना कमजोरी मजबूरी को, मत कर तु शिकायत किसी से यहाँ।
कुछ करेंगे तारीफ तेरी भी सच, होगी बदनामी भी अपनों से यहाँ।।
मत नाराज हो , मत समझ बदनसीब, जिंदगी को नहीं कर बर्बाद तु।
मत बना जिंदगी को ऐसे———–।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)