कुछ  इम्तिहान  देकर  ही  थक  गए तुम,

अभी तो जिंदगी के कई इंतिहान बाकी है ।
कट भी जाए तुम्हारे पंख तो गम न करना,
अभी   हौसलों   की   उड़ान   बाकी   है ।
तुम्हें जानते हैं लोग यह बात कम नहीं है,
अभी तो कुछ अपनों की पहचान बाकी है।
बदलते वक्त ने उतार दिया अपनो के मुखौटे,
अभी   दिल  में   कुछ   मेहमान   बाकी   है।
सांसों से जंग जारी है बस इतनी सी बात पर,
अभी   उतारना   कुछ   एहसान   बाकी   है ।
करना है सफर तय जिंदगी का कुछ और दिन
अभी   तो  मौत   का   फरमान   बाकी   है।
स्वरचित:
पिंकी मिश्रा
भागलपुर बिहार ।
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