मकर राशि में जब करते हैं सूर्यदेव प्रवेश।
तब होता है ऋतु परिवर्तन का श्री गणेश।
‘खिचड़ी’ पर्व भी कहते हैं इसको त्यौहार।
सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति का है त्यौहार।
गंगा स्नान भी करते श्रद्धालु खिचड़ी छूते।
घर में नहा धोकर भी सीधा पिसान हैं छूते।
काशी हरिद्वार प्रयाग गंगा स्नान को जाते।
कोलकाता का गंगा सागर स्नान को जाते।
कहीं मकर संक्रांति को कहते बीहू लोहड़ी।
कहीं पर कहते इस पर्व को पोंगल खिचड़ी।
नव वर्ष का यही तो होता पहला हिन्दू पर्व।
यही तो होता है पतंग उड़ाने वाला भी पर्व।
गुजराती भाई इस पर्व में पतंग खूब उड़ाते।
लोहड़ी जला फेरे करते डांडिया भी कराते।
सिख भाई ढोल नगाड़ों पे भांगड़ा हैं करते।
नई उमंगों और जोश से सब को भरा करते।
गुड़लइया तिल लड्डू एवं चूड़ा दही खाते।
नए चावल नएउर्द की खिचड़ी भी हैं खाते।
नए चावल गुड़ से बने मीठा रसियाव खाते।
अचार सलाद पापड़ भी खिचड़ी संग खाते।
रेवड़ी गजक मूंगफली गुड़ की पट्टी बनती।
आलू मटर टमाटर की लुटपुट सब्जी बनती।
हिन्दू रीति रिवाजों वाला ये अनुपम त्यौहार।
भाई चारे प्रेम भाव का ये सुंदर एक त्यौहार।
दान पुण्य भी सब करते हैं मकर संक्रांति में।
ठंड-धूप दोनों के हैं आनंद मकर संक्रांति में।
बच्चे बूढ़े महिलाएं जवान सब आनंद उठाते।
खातेपीते मौजमस्ती से पर्व का लुत्फ उठाते।
मकर संक्रांति की सबको मेरी हार्दिक बधाई।
बहुत-2 शुभकामनाएं मेरी बहुत बहुत बधाई।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.