हमको है सिर्फ अपने वतन के लिए, जीना और मरना।
सदा चले हम वतन की राह, यह मकसद हो अपना।।
हमको है सिर्फ़ अपने —————-।।
पैदा हुए हैं इस माटी में, खेले और इसपे बड़े हुए।
इसके ही साये में अपने सपने, सारे साकार हुए।।
नमन करें इस धरती को , वादा इससे हमेशा निभाना।
हमको है सिर्फ अपने————-।।
जीने का नहीं हक उनको, जो बांट रहे हैं अपना वतन।
खून बहाकर मजहब के लिए,जो लूट रहे हैं यहाँ अमन।।
करते हैं जो सौदा वतन का, उनको अब है मिटाना।
हमको है सिर्फ अपने————–।।
मिट जाये हम इसके लिए, जिंदा रहे यह अपना वतन।
शान नहीं हो इसकी कम, गुलज़ार रहे यह अपना चमन।।
मिटे नहीं अरमां शहीदों के, साकार उनके सपनों को करना।
हमको है सिर्फ अपने —————-।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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