इंटरनेट एंड्राएडफोन ने,ऐसा बाजार बनाया है।
बच्चे बूढ़े महिलाएं सब, दिल से ये अपनाया है।
मिल रहा है सब कुछ देखो,सारा ऑनलाइन है।
प्यार,दोस्त,हर वस्तु,धोखा,सभी ऑनलाइन है।
जिसको जो खरीदना है,घर बैठे ऑर्डर करता।
इस कोरोना काल में वो,कुछ ज्यादा ही करता।
सोशल मीडिया पे करते,प्यार और इजहार भी।
जिन्हें देखे न मिले कभी हैं,शक़ में व्यवहार भी।
सोशलमीडिया के प्रेम ये,कभी ख़ुशी नहीं देतीं।
वस्तुओं में रिटर्न पालिसी से,वो हानि नहीं देतीं।
फेसबुक व्हाट्सएप से,दोस्त भी बनते हैं अनेक।
पता नहीं रहता है कोई,कौन दुष्ट है कौन है नेक।
ज्यादा केवल धोखा देते,मीठी मीठी बातें करते।
कुछ हैं केवल ऐसे मिलते,जो सचमें पसंद करते।
कर्म,धर्म,व्यक्तित्व सबकुछ,उन्हें प्रभावित करते।
लाइक और कमेंट हैं करते,उत्साह बढ़ाया करते।
गलत नाम व फ़ोटो से,अपना खाता चालू रखते।
कभी-कभी ऐसे ये मिलते,बुरी निगाहें भी रखते।
इन्हें परखना आना चहिये,बेमतलब बात ना हो।
ऑनलाइन दोस्त,प्रेम,धोखा या कोई घात न हो।
हर चीज का अच्छा-बुरा,दोनों ही पहलू होता है।
अच्छे का ही उपयोग करें,छोड़ें बुरा जो होता है।
ज्यादा मोबाइल प्रयोग भी,करना यह घातक है।
नेट का प्रयोग भी,फायदा कम ज्यादा घातक है।
ज्ञान की भी चीजें मिलतीं, पढ़ाई में बेड़ा पार है।ऑनलाइन कक्षाएं चलती,शिक्षा का ये भंडार है।
बहुत सी गलत भी चीजें,इंटरनेट पर दिखती हैं।
किशोरावस्था में वो सब, अच्छी बड़ी लगती हैं।
दूर उनसे रहना हितकर,सभीके लिए जरूरी है।
एंड्राएड फोन व नेट ये,पढ़ाई में बड़ा जरूरी है।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.