सुना अब भी लोग खुलकर अहसास जताते है,
आसपास भले न हो ऑनलाइन आ निभाते है, 
हॅसना,मुस्काना, खिलखिलाना मुद्द्त की बात हुई
पर हम इमोजी का उपयोग करना बखूबी जानते है।
मन से मन तक शब्द अब कहाँ पहुंच पाते है,
एक दूसरे को याद कर किस्से कहाँ सुनाते है,
ख़त, चिट्ठीयां लिखे बीत गया एक जमाना
मेसेज फॉरवर्ड कर बस छुट्टी पा जाते है।
घर के अंदर भी सब अनजान बने रहते है,
सब अपनों के बीच मेहमान बन कर रहते है,
कहने को बस साथ,दिल में दूरियां हज़ार
बिखरते परिवार की पहचान बन कर रहते है।
इश्क़ और दोस्ती के रंग भी खूब चमकते है,
सुन्दर डीपी देखकर लोग खूब बहकते है,
रिक्वेस्ट अगर एक्सेप्ट हो जाये तो फिर देखे 
चैट पर चैट से बॉक्स फुल हो मेमोरी को भरते है।
हसीं ख़्वाब मोहब्बत के दिखाते है,
ई -कॉमर्स से नये तोहफ़े लुटाते है,
अहसासों के समन्दर में डूबा कर 
इज्जत से खिलवाड़ कर जाते है।
दुनिया का हर भाव हम यही जाहिर करते है,
जीवन दर्शन और गूढ ज्ञान में माहिर बनते है,
आध्यात्म की कहानियां शेयर करते करते
धर्म के प्रति अपने दायित्व का निर्वाह करते है।
वर्चुअल गेम्स से ही बच्चे अब दुनिया समझते है,
भाग -दौड़ खेल कूद से बहुत दूरी बनाये रखते है,
दादी नानी की परियों वाली कहानियां है छूमंतर
काऊ से मुलाक़ात भी अब वीडियो में ये करते है।
वेबसाइट बना दुनिया में व्यापार खूब चला रहे है,
विज्ञापनों का ऐसा लुभावना जाल फैला रहे है,
असली नकली का फर्क करना हो रहा मुश्किल
  रंगीन पार्सल में घटिया माल देकर जा रहे है।
संस्कृति का भी खूब हल्ला मचाये जा रहे है,
स्टेटस अपडेट कर त्योहार मनाये जा रहे है,
पौराणिकता का महत्व भुलाकर सभी बस
शुभकामनाओं को हैप्पी बना चिल्लाये जा रहे है।
खरी दुनिया छोड़ इक आभासी दुनिया में जिये जा रहे है,
कई बार तो प्रदर्शन कई हमें शर्मसार किये जा रहे है,
चाहे या न चाहे हिस्सा इसका बनकर फिर भी 
हम तुम भी इसी जाल में धीरे धीरे फसते जा रहे है।
स्वरचित
शैली भागवत ‘आस’✍️
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