पीहू,पीहू क्या कर रही हो बेटा? बुआ आई हैं।रचना ने आवाज लगाई।
दो तीन बार आवाज देने के बाद भी पीहू नहीं आई तो रचना पीहू के कमरे में गई ,पीहू किसी से वीडियो कॉल कर बात कर रही थी,रचना को देखते ही उसने फोन बंद कर दिया ।
रचना बहुत बार अमित से पीहू की शिकायत कर चुकी थी । ऑनलाइन क्लास के समय वह किसी से चैटिंग करती रहती।इंस्टाग्राम में भी अपना मुंह आड़ा तिरछा बना फोटो भेजती।
आखिर उम्र ही क्या थी महज 12 साल की, पीहू का बड़ों की तरह बातें करना ,रचना को अच्छा नहीं लगता । जब रचना पीहू की सोशल मीडिया के प्रति दीवानगी की अमित से शिकायत करती तो ,पीहू पापा की अच्छी बच्ची बन जाती और अमित उसी का पक्ष लेता।
आज रचना को पीहू की हरकत नागवार लगी ,उसने पीहू से फोन छीन लिया और जाकर ननद के पास बैठ गई।
फोन लेते ही पीहू जोर जोर से चीखने लगी लगी और जोर से दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।
दो घंटे बाद जब उसकी ननद गई तो रचना ने सोचा ,अब उसे फोन दे दूं।वह कमरे का दरवाजा खटखटाने लगी ,अंदर से कोई आवाज नहीं आई ,करीब आधा घंटे बीत गए ,दरवाजा नहीं खुला तब रचना ने पड़ोसियों को बुलाया ,और अमित को ऑफिस में फोन किया।
दरवाजा तोड़ा गया तो ,पीहू ने आत्महत्या कर ली थी। रचना जिंदगी भर खुद को दोषी मानती रही।
फोन जांच करने के बाद बहुत से ऐसे साइट दिखाई दिए जो बच्चों को नहीं खोलने चाहिए।उसके सोशल पेज में कई बड़े बड़े अंकल टाइप के लोग जुड़े थे।
आज भी रचना और अमित अपने आप को माफ नही कर पा रहे।
वक्त रहते अगर अमित और रचना ,पीहू को समझाते,उसे समय देते ,समय समय पर उसका फोन चेक करते तो शायद ये घटना नहीं होती।
पर ये कोई नई घटना नहीं है,आए दिन इस तरह की घटनाएं सुनाई दे ही रही हैं।
ब्लू व्हेल गेम खेलते खेलते बच्चे ने आत्महत्या कर ली।
साइबर बुलिंग ,ट्रोलिंग के कारण आत्महत्या।किशोर और बच्चों का अत्याधिक हिंसक होना,एकांत पसंद करना। अनिद्रा ,आंखों में मोटे चश्मे लग जाना,आभासी दुनिया में जीना।
ये सब चंद उदाहरण हैं,जब बड़े सुरक्षित नहीं है इस साइबर अपराधियों के अपराध से तो, बच्चे तो बहुत ही असुरक्षित हैं।
ऐसा नहीं है की इंटरनेट या सोशल मीडिया बेकार है,लेकिन इसका सही उपयोग किया जाए तब इसके फायदे ही फायदे हैं।पलक झपकते सारी जानकारी आपके फोन की स्क्रीन पर होती है।
बच्चों को मोबाइल देने से पहले कुछ बातें माता पिता सुनिश्चित कर लें ,तो बच्चों पर हो रहे दुष्प्रभाव और अपराध को कम कर सकते हैं।
जैसे_
_स्क्रीन टाइम मॉनिटर,या मोबाइल सेट करना ।
_ब्राउजर पर जाकर उनकी सर्च की गई हिस्ट्री देखना।
_ अंजान नंबर के किसी व्यक्ति से बात नहीं करना, अकारण किसी के पूछने पर अपनी और अपने घर के सदस्यों की पूरी जानकारी नहीं देने के लिए सतर्क करना।
_, ट्रोलिंग और साइबर बुलिंग होने पर जानकारी अभिभावक से साझा करने के लिए कहना।
पेरेंटिंग लॉक फोन में इंस्टॉल करना जिससे आप बच्चे के द्वारा किए जा रहे क्रियाकलापों पर नजर रख सकते हैं।
सोशल मीडिया में उनसे जुड़े रहना।
सबसे बड़ी बात उन्हें फोन से अधिक परिवार के साथ जुड़ने का उपाय करें ,ताकि बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय परिवार में बिता पाएंगे।
इस तरह सावधानी रख कर आप अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं।