स्वर्ग तो हमने नहीं देखा,
पर देखा है मां का आंचल,
जहां बसती ममता की सुरभि,
स्नेह का उमड़ता है बादल।
लोरी में संगीत के सातों सुर,
लय और ताल मां की थपकी में,
चांद भी नजरें चुराता है मुझसे,
मां लगाये जो मेरी आंखों में काजल।
सिंहासन लगता है मां की गोद,
मां का हाथ मेरे माथे का मुकुट,
पीयूष की धारा है मां का दूध,
धरती का स्वर्ग यही सुन ओ पागल।
स्वरचित रचना
रंजना लता
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *