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जिसे ढूंढता फिरे ये आंखें 👁️मेरी,
किसके आहट को तरसता है दिल मेरा,
दुखी होकर क्यों खामोश हो गई ,
ए दिल❤️ बता क्या हुआ है तुम्हें 🥲,
जो एक पल भी तुम्हे याद नहीं आती😊।
(रफ्ता रफ्ता सनम तुमसे मिली नजर)
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किसके लव्स और खामोशियां मुझे सता रही है,
आने की इंतेजार को पल पल झुठला रही 😊,
किस दर्द के अंधेरे में डूबे हैं वो आशिकी मेरी,
जो रफ्ता रफ्ता दिल दुःख रही मेरी,
जो बिन देखे बैचेन हो रही है धड़कने मेरी ।
सर्द हवाओं में ठिठुर सी गई है दिल उसके,
ओस की बूंदे जो गिरी है दिल में मेरी,
दिल अब सिहर उठी है इंतेजार में उसकी,
न जाने क्या सितम छाने लगी अब मेरे दिल को,
जो सनम मुझसे राज छिपाए चल रही ।
चाहता हूं दिल को थोड़ी राहत दूं तुम्हारी तरह ,
जो खोए हैं सनम प्रेम के अंधियारे में,
रफ्ता रफ्ता जो चल रही है बहाने प्यार की,
थोड़ी सुकून ❤️ देती है रात अंधियारे सी।
नक्शे कदम चलनी होती है प्यार के सहारे,
क्यों होती है सिर्फ मुहब्बत में इतने बहाने,
रफ्ता रफ्ता सा मिलती है दर्द छिपाने ,
समेट कर बातें चले जो जाते हो आजकल,
उन बादलों में लुका छिपी करना 
बचपना की फितरत है मेरी ।
चलती रहेगी ये जोर हंसने हंसाने की,
जैसे तुम वैसे इस जमाने की,
कहूंगा नही सनम अब दर्द दिखाने की,
रफ्ता रफ्ता तुम्हारी तरह ढल जाने की,
अपनी तजुर्बा, बयान तुझमें मिल जाने की😊।
✍️✍️✍️काल्पनिक…..
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मनीष कुमार 💘
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