चले वक़्त के साथ , अगर मिलाकर कदम।
नहीं होगी कोई मुसीबत, खुश रहेंगे हम ।।
चले वक़्त के साथ ——————-।।
खुश हम रहे, साथ थी जब गुल की बहारें।
नाम था हर जुबां पे, रोशन जब थे सितारें।।
वक़्त को देखकर , अगर जीना सीखे हम ।
नहीं होगी कोई मुसीबत,खुश रहेंगे हम।।
चले वक़्त के साथ—————–।।
महलो- दौलत तो बनते – बिगड़ते रहते हैं।
करें क्यों इनका गम, रिश्ते बदलते रहते हैं।।
एक लहर समझ , करें समय का स्वागत हम।
नहीं होगी कोई मुसीबत, खुश रहेंगे हम।।
चले वक़्त के साथ—————-।।
कांटों में ही अक्सर , महकते हैं फूल।
तपते अग्नि में सोने की तरह हो उसूल।।
छोड़े किस्मत का रोना, हंसकर जीये हम।
नहीं होगी कोई मुसीबत, खुश रहेंगे हम।।
चले वक़्त के साथ ——————–।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)