किस्मत का खेल निराला, कहता है सृष्टि रचने वाला,
किस्मत मे किसी की घुप अंधेरा, तो किस्मत मे किसी की उजाला!
बंद किस्मत के भी ताले खुल जाते है,
जब कर्म रूपी चाभी को दिल-जान से लगाते हैं!
कर्म और किस्मत चलते हाथ पकड कर साथ,
कर्म की चाभी लगाते रहिए,जाने कब दे दे किस्मत साथ!
हो गई कर्म और किस्मत मे बहस अपार,
कहे किस्मत मै हूं अनमोल,मुझमे शक्ति अपरंपार,
बोले कर्म, मेरा कर सदुपयोग और कर ले दोनो लोक पार!
बोले प्राणी, किस्मत मे होगा तो खुद-ब-खुद मिल जाएगा,
बोले प्रभु,क्या पता मैने ये ही लिखा हो कि सत्कर्म करेगा तो ही किस्मत चमकाएगा!
विश्वास है अटल ये मेरा,खुल जाएगा बंद किस्मत का भी ताला!
श्वेता अरोडा