हे दिल तुझको किसकी तलाश है।
क्यों तु उदास है , किसकी प्यास है।।
हे दिल तुझको——————-।।
नजरें उठाकर देख, फैली है रोशनी।
झिलमिल सितारें हैं, फैली है चांदनी।।
तूने चिराग क्यों जलाया नहीं है।
क्या बात है, क्यों इतना हताश है।।
हे दिल तुझको—————–।।
कर ले तु भी मौज , इन मस्त लहरों में
जरा झूम ले तु भी, इन ठंडी बहारों में।।
मिटा प्यास अपनी तु , इन फुहारों से ।
रख दिल को खुश, क्यों तु नाराज है ।।
हे दिल तुझको——————-।।
धोखा दिया है जिन्होंने, फिक्र उनकी छोड़।
लूटा है तुझको जिन्होंने , रिश्ता उनसे तोड़।।
तेरे भी है ख्वाब और अरमान बहुत।
क्यों तेरी जिंदगी में नहीं उजास है।।
हे दिल तुझको——————–।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)