हे ईश करूं क्या तुझे अर्पण 
दिया तूने मुझे इतना सुन्दर जीवन। 
प्राणों से भी जयादा चाहा मुझको
 मिला ऐसे माता -पिता का संबल। 
हर जन्म में तू मुझे मिलना
करूं बारंबार तुझे वंदन!!
ऐ मातु पिता तेरा अभिनन्दन!!
ऐ मातु पिता तेरा अभिनन्दन!!
      ✍️”पाम “
हे ईश करूं क्या तुझे अर्पण। 
दिया तूने मुझे इतना सुन्दर  जीवन!
ना धूप सहा मैंने, ना कोई चुभा नश्तर 
किया छांव ही छांव पग पग पर।
खुद चलता रहा ,जलता ही रहा
हौसलों की उङान मुझमें भरता ही रहा।
ऐ मातु पिता तुम्हें वंदन। 
 
प्राणों से भी ज्यादा चाहा मुझको
मिला ऐसे माता पिता का संबल।
मेरे रोम रोम से उनका करती रहूं मैं अभिनन्दन!
हर जन्म में मिलें यही मातु पिता!
और न कोई अभिष्ट मेरा।
न कोई मेरा विह्वल क्रंदन 
हे ईश करूं क्या तुझे अर्पण!!
दिया तूने मुझे इतना सुन्दर जीवन। 
      @ डाॅ पल्लवीकुमारी”पाम “
          अनिसाबाद पटना,बिहार।
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