जैसे को तैसा

जो जैसा करता है उसका खामियाज़ा उसे भुगतना पड़ता ।
अच्छा हो या बुरा ,करनी का फल ज़रूर मिलता ।
बुरा करके लोग निश्चिंत हो जाते हैं ,
भूल जाते हैं कि देख रहा है ख़ुदा ।

उसके फैसले में होती है देरी ज़रा ।
देता है वह सबको सुधरने का मौका ।
पर ग़फलत में पड़ जाते हैं लोग ,
फिर भुगतनी पड़ती है उनको अपने किए की सज़ा।

वक्त रहते ही कर लो तोबा ।
करो अच्छा सुलूक हो कोई छोटा या बड़ा ।
ख़ुदा का बनाया हुआ है यह जहां ,
देगा वह जैसे को तैसा ।

हुमा अंसारी

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