#रश्मिरथी साप्ताहिक प्रतियोगिता

जैसे को तैसा

एक गांव में एक मुंगफली का व्यापारी रहता था। उसका व्यापार गांव में कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा था, तो उसने शहर जाने का सोचा। फिर उसने एक घोड़ा खरीदा। दिन भर बाहर रहने के कारण कहीं घर में चोर ना घुस जाए यही सोच कर उसने एक कुत्ता भी रखा। वो उनको अच्छा अच्छा खाना देता था और उनका ख्याल भी रखता था। कुछ महीने ऐसे बीत गए, घोड़ा मालिक को लेकर शहर जाता था। कुत्ता घर में पहरा देता था। शहर में व्यापारी को खूब लाभ हुआ। उसका व्यापार बढ़ने लगा।

एक दिन उसने शहर में ही बस जाने को सोचा। तो उसने गांव का घर बेच दिया और घोड़े और कुत्ते को साथ लेकर शहर चला आया। शहर में एक बड़ी सी दुकान खोली और नया घर बनाया। पहले से ज़्यादा अब उसका व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था। कुछ दिन बाद उसने शादी भी कर ली और खुशी खुशी रहने लगा। ऐसे ही कुछ साल बीत गए। शहर में बस जाने के कारण अब उसको घोड़ें की जरूरत नहीं थी। और उसने अपनी दुकान भी घर के सामने ही ले रखी थी तो कुत्ता भी अब किसी काम का नहीं था। तो उसने उन दोनों को निकालने का सोचा। एक दिन वो घोड़े और कुत्ते को साथ ले कर बहुत दूर जंगल में चला गया। उनको एक जगह छोड़ कर ख़ुद वापस आ गया। वो दोनों जानवर मालिक के इंतजार में बहुत देर बैठे रहे पर वो ना आया। मालिक अपने घर अपनी बीवी के साथ अब सुकून से रहने लगा।पर दो दिन बाद घोड़ा और कुत्ता फिर वापस आ गए। मालिक के पास जा कर बड़े प्यार से खड़े हो गए। उनको लगता था की उनका मालिक अब भी उनसे बहुत प्यार करता है। पर ऐसा कुछ भी नहीं था।मालिक ने बहुत बार कोशिश की उनको भगाने की पर सब नाकाम रही। वे अपने मालिक को छोड़ना ही नहीं चाहते थे। पर उनको पता नहीं था की उनका मालिक अब पहले से ज़्यादा घमंडी, क्रूर और लोभी बन गया था। एक दिन गुस्से में आ कर व्यापारी ने उन दोनो जानवरों को बहुत मारा। इतना मारा की खुद भी थक गया फिर भी रुका नहीं बस मारता ही गया। फिर उन दोनों को बहुत कष्ट हुआ। वो नाराज़ हो कर चल पड़े दूर। अब मालिक को चैन आया। एक दिन की बात है। कुछ लुटेरे शहर में आ गए। वो लोग व्यापारी के घर के पास आ कर रुके। इतना बड़ा घर देख कर वो उसे लूटने की सोचे और जल्दी से एक योजना बना ली। योजना के मुताबिक दो लुटेरों ने पहले दुकान के पीछे आग लगा दी। जिस वजह से व्यापारी आग को देख उधर चला गया। उतने में वे लुटेरे उसके घर में घुस गए और उसकी बीवी की गरदन पर चाकू रख के पूरा घर लूट कर पीछे के दरवाज़े से भाग गए। उनके जाने के बाद व्यापारी की बीवी भागती हुई आई और सब कुछ कहने लगी। व्यापारी का माथा घूम गया। वो आग को बीच में छोड़ कर घर की ओर भागने लगा। जा कर देखा तो पूरा घर खाली। फिर वापस आ कर देखा तो कुछ ही पल में आग की तैश में आ कर पूरी दुकान भी जल चुकी थी। अब वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगा। और सोचने लगा की अगर आज कुत्ता यहां होता तो शायद ये दिन देखना न पडता।

उसने मासूम जानवरों के साथ बहुत बुरा किया था तो भगवान ने कर्मफल के स्वरूप उसका सब कुछ छीन लिया । इसीलिए कहते हैं , “जैसे को तैसा।.”

मौलिक एवं स्वरचित

ज्योतिजयीता महापात्र

खोरधा,ओडिशा

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