(पितृ दिवस विशेष कविता)
पितृ दिवस की बेला है आई।
                हरेक पिता को मेरी बधाई।।
पिता हमारे घर की होते शान।
                 पिता हमारे होते बड़े महान।।
पिता जनक है,पिता है साहस।
               पिता है इज्जत और सम्मान।।
बच्चों की पूँजी और ताकत है।
               पिता ही बच्चों की है पहचान।।
घर की एक एक ईंट में शामिल।
              पिता का ही खून पसीना रहता।।
सारे घर की रौनक है पिता से।
                घर की जान पिता सब सहता।।
हर शोहरत,रुतबा मान पिता से।
              बच्चे का गर्व अभिमान पिता से।।
बच्चों में हिम्मत पिता से बढ़ती।
               पिता के बल से पीढ़ी है चलती।।
रिश्तों का रिश्ता सम्मान पिता हैं।
              हर घर की असली शान पिता हैं।।
घर के सारे दिलों की हैं धड़कन।
               घर व हम सब की जान पिता हैं।।
पिता के जीवित रहते यह मानें।
                पिता के जैसे ही बनने की ठाने।।
रहे आचरण ऐसा हर पिता का।
                बच्चे करते अनुशरण पिता का।।
पिता बिना हर घर लगता सूना।
                पिता रहते बच्चे उत्साहित दूना।।
उंगली पकड़ पिता ही चलाता।
                बच्चे को समाज लायक बनाता।।
पितृ दिवस पर नमन पिता को।
                मेरा आदर श्रद्धा सुमन पिता को।।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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