रविश स्वाति की तरफ देखते हुए – स्वाति , आपके साथ पहले जो भी हुआ । मैं उसे बदल तो नहीं सकता लेकिन कोशिश जरूर करूंगा कि अब आपके साथ कुछ ग़लत नहीं हो । अब आप जल्दी से फ्रेश हो जाइए ,  क्योंकि अभी आप मेरे साथ वाक पर जा रही हैं ।
स्वाति खुश होते हुए – आप 10 मिनट बस रूकिए मैं बस अभी आती हूं कहते हुए स्वाति अचानक कुछ सोचते हुए रूक जाती हैं , और रविश की तरफ देखकर – सुनिए , अभी दो दिन ही हुए हैं शादी को अगर … बोलते – बोलते स्वाति रूक गई । रविश , स्वाति की तरफ देखकर – आप मां और पापा की फ़िक्र मत करिए वो कुछ नहीं कहेंगे । क्योंकि मां , पापा खुद सुबह वाक पर जाते हैं । स्वाति की अधूरी बात को पूरा करते हुए रविश कहते हैं ।
और अगर आप शिवु की टेंशन ले रही हैैं , तो आप निश्चिंत रहो । मैं नेहा या पीहु को शिवू का ख्याल रखने के लिए कह देता हूं । तब तक आप रेडी हो जाइए । कह कर रविश कमरे के बाहर चले जाते हैं और स्वाति बाथरूम में । कुछ देर बाद स्वाति और रविश बाहर वाक पर जा रहे होते हैं तभी सरला जी रविश से कहती हैं
सरला जी – रविश ,स्वाति बेटा आप लोग आज जल्दी घर आ जाना । क्योंकि आज स्वाति की पहली रसोई की रस्म भी करनी है । और तुम्हें पता है ना , तुम्हारे पापा जी को समय पर नाश्ता करने की आदत है । 
रविश और स्वाति दोनों एक साथ – जी मां , हम जल्दी आ जायेंगे ।
बहुत दिनों बाद स्वाति यूं वाक पर जाते हुए बहुत खुश हैं । चलते-चलते वो रास्ते और सड़क के किनारे शाप को देखते हुए चल रही है । उसके चलने के ढंग से ही उसकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है और रविश अभी वहीं कर रहे हैं । रविश सामने सड़क को देखते हुए चल रहे हैं लेकिन बीच-बीच में स्वाति को भी देख लेते । स्वाति के चेहरे पर आती हुई खुशी को देख कर उन्हें अच्छा लग रहा था । 
रविश स्वाति को पक्की सड़क से चलते-चलते तालाब की ओर ले जा रहे थे । ये जगह शहर से थोड़ी सूनसान जगह पर थी । लेकिन ये जगह कभी सूनी नहीं होती थी । कारण वहां देवों के देव महादेव का प्रचलित और सिद्ध भूतेश्वर नाथ का मंदिर भी था । वाक पर जाने वाले लोग अक्सर यहां आया करते थे । इनमें सभी वर्ग के लोग आते थे ।  क्योंकि जगह ही इतनी सुंदर थी । सड़क के दोनों तरफ पेड़ों का समूह और पास ही कल-कल करती नदी जिसका पानी कभी नहीं सूखता था ।  रविश के पापा ने शहर की भीड़ भाड़ वाली जगह को छोड़कर  शहर से दूर अपना घर बनवाया था । इसलिए रविश पैदल ही यहां आ जाया करते थे । 
रविश को चुपचाप चलता देख स्वाति ने पूछा ! 
स्वाति – रविश हम कहां जा रहे हैं । 
रविश – तुम्हें मैं अपनी पसंदीदा जगह पर ले जा रहा हूं । कुछ दूर चलने पर उन्हें बहती हुई नदी दिखाई दी  । नदी के पास ही थोड़ी दूर में उन्हें भूतेश्वर महादेव के मंदिर के दर्शन हुए । मंदिर को देखकर स्वाति ने दुपट्टे से सर को ढक कर हाथ जोड़कर प्रणाम किया । और अपनी आनी वाली जिंदगी के लिए प्रार्थना करने लगी । 
रविश स्वाति को देखकर मुस्कुरा रहे हैं ।
रविश – आपकी प्रार्थना हो गई हो , तो चले । अब हमें चलना चाहिए । 
स्वाति – यहां मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था , क्या थोड़ी देर के लिए और रूक जायें ! 
रविश – स्वाति , मां ने हमें जल्दी बुलाया है ना ! आज तुम्हारी पहली रसोई की रस्म करनी है ।
स्वाति हां में सर हिलाते हुए ..
रविश – स्वाति शाम को आप तैयार रहना , आज आपको मंदिर के दर्शन कराऊंगा । 
स्वाति खुश होकर – जी , मैं तैयार रहूंगी ।
तभी उनके पास ही एक बुजुर्गों का जोड़ा आया …
रविश – नमस्ते अंकल ,अब आपकी तबियत कैसी हैं ! 
मि. शर्मा – पहले से बहुत बेहतर महसूस कर रहा हूं । 
रविश – ये तो बहुत ही अच्छी बात है , लेकिन आज आपको चेकअप के लिए आना है ! भुलियेगा मत ..
मिसेज शर्मा – बिल्कुल ! मुझे याद है , आज तुम्हारे हास्पिटल आना है । और ये ब्यूटीफुल गर्ल कौन है ( स्वाति की तरफ देखकर ) ।
रविश – यें मेरी पत्नी है , स्वाति …।
मिसेज शर्मा खुश होते हुए – कांग्रेचुलेशन बोथ आॅफ यू .. मुझे लगा ही नहीं कि आप कभी शादी करेंगे रविश ! मिसेज शर्मा कुछ और कहती उससे पहले ही रविश बात बदल देते हैं ।‌ 
रविश – साॅरी मिसेज शर्मा , पर हमें घर जल्दी जाना है । तो प्लीज आप बुरा मत मानियेगा।
मिसेज शर्मा – नहीं , नहीं इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं है । बाय स्वाति तुमसे मिल कर बहुत अच्छा लगा । आज तुमसे बात नहीं हो पाई , कभी मिलने आऊंगी तुमसे घर …ये कह कर मिसेज शर्मा और मि. शर्मा चले जाते हैं । 
लेकिन रविश मिसेज शर्मा की बात सुनकर थोड़ा परेशान हो जाते हैं ।
स्वाति – चलें रविश जी , हमें देर हो रही हैं । 
स्वाति को रविश के चेहरे पर परेशानी साफ दिखाई दे रही है लेकिन वो कुछ कहती नहीं ।
स्वाति और रविश घर पहुंचते जहां सरला जी शिवु के साथ बैठी थी । स्वाति को देखकर ..
सरला जी – बेटा आप , जल्दी से नहा लीजिए ।
फिर सबके लिए नाश्ता आपको ही बनाना है जिसमें पीहू आपकी मदद करेगी । ठीक है बेटा ! 
स्वाति मुस्कुराते हुए – जी मां ।
स्वाति तैयार होने के लिए रूम में चली जाती हैं । थोड़ी देर बाद स्वाति हल्की पिंक साड़ी पहने और हाथों में लाल और गोल्डन कलर की चूड़ियां मांग में सिंदूर , आंखों में हल्की काजल और माथे पर लाल छोटी बिंदी । स्वाति को और सुंदर बना रहे थे । रविश जब रुम में आये तो , स्वाति को देखकर , देखते ही रह गये । स्वाति शरमा कर रुम से बाहर निकल कर किचन में चली गई । 
स्वाति , पीहु से पूछकर सबके लिए उनकी पसंद का नाश्ता बनाने लगी । मां और पापा जी , के लिए आलू के परांठे । रवि , पीहु के लिए पुड़िया और आलू की सब्जी । नेहा और शिवांश के लिए उनकी पसंद का मैगी बना दिया । स्वाति ने सबकी पसंद का नाश्ता बनाया लेकिन उसे रविश की पसंद पता नहीं थी । जब वो सरला जी से पूछने गयी , रविश जी को सामने पाकर वापस लौट आई और सिंपल परांठे बनाने लगी । कुछ सोच कर उसने सूजी का हलवा भी बना लिया ।
डायनिंग टेबल पर अपनी – अपनी पसंद का नाश्ता देखकर सब बहुत खुश हुए । रवि तो अपनी पूरी सब्जी लेकर खाते हुए – भाभी आपने बहुत ही टेस्टी नाश्ता बनाया है । नेहा – भाभी मुझे सिंपल मैगी पसंद नहीं है । मुझे…नेहा के , कहते – कहते स्वाति मिक्स वेजिटेबल नूडल्स नेहा को परोस दिये । 
नेहा , शिवांश के बगल में बैठ जाती हैं । जहां शिवु पहले से ही नूडल्स खाने में मग्न है ।
नेहा – वाउ , भाभी आपने तो मेरी फेवरेट मैगी बनाई है । थैंक्यू भाभी ..।
स्वाति बस मुस्कुरा कर नेहा को देखती है ।
प्रमोद जी – वाकई बेटा आपने नाश्ता बहुत ही अच्छा बनाया है । 
रविश स्वाति के बाजू वाले कुर्सी पर बैठते हुए – हमें भी नाश्ता परोस दो भई । 
स्वाति रविश को परांठे और आलू की सब्जी और सूजी का हलवा परोसते हुए । 
स्वाति – ये मैंने आपके लिए बनाए है । 
रविश धीरे से  – आपको कैसे पता कि सूजी का हलवा पसंद है । 
स्वाति धीरे से  – जैसे आपको पता था , कि मुझे मीठे आचार पसंद है वैसे ही मुझे भी पता चल गया । 
रवि – भाभी ये तो गलत बात है , आप बस भैया को मीठा खिला रही है ! 
स्वाति मुस्कुराते हुए – ऐसे कोई बात नहीं है रवि भैया  , मैंने सबके लिए मीठा बनाया है । कह कर स्वाति सबको मीठा परोसती हैं … और रविश प्यार से स्वाति के चेहरे को देख रहे हैं ….।।
                                      क्रमशः 
रचनाकार – श्वेता सोनी
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