कन्यादान एक लड़की का दान,
क्यों?
क्यों ऐसी रित बनाई, जिसमे हम हो जाती है पराई,
माँ- बाप जब अपनी पुत्री का दान करते हैं,
नम आँखों से अपना अभिमान देते है,
गुमान अपना देकर सम्मान देते है,
अभिमान अपना देकर स्वाभिमान देते है,
कन्यादान के बाद ,
हम अपने ही घर से बेघर हो जाते है,
कभी अपनी अमानत कह कर हमें पराया धन भी कहते हैं,
पाल पोस कर बड़ा किया और फिर अपने से दूर किया,
त्याग और बलिदान के ये मूरत है,
सौभाग्य शाली होते है जो कन्यादान करते हैं ।