तुम छुपके छुपके , ऐसा कल को करोगे।
मेरे नगमों को , गौर से कल को सुनोगे।।
तुम छुपके छुपके—————-।।
होगा अफसोस तुम्हें, अपनी नफरत का कल।
छुपके छुपके तस्वीर मेरी, तुम कल को देखोगे।।
तुम छुपके छुपके—————–।।
याद करके मेरी मुहब्बत, बहावोगे अश्क तुम।
मेरे खत दिल से लगाकर, तुम कल को पढ़ोगे।।
तुम छुपके छुपके—————।।
खता अपनी मानोगे, खुद को दोगे सजा तुम।
मेरी तरहां लहू से खत, मुझको कल को लिखोगे।।
तुम छुपके छुपके ———————-।।
नहीं आयेगी नींद,दिल में आग ऐसी लगेगी।
तोड़कर बंदिशें सारी , मुझसे कल को मिलोगे।।
तुम छुपके छुपके ———————।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)