पुलवामा हमला ना हम भूलनेवाले।
ना ही अंदर ही अंदर हम घुलनेवाले।
सुन ऐ शैतां,निर्दयी अहमद।
कैसे पार किया तूने शरहद।
तेरी दानवगिरी से लथपथ हुआ लेथपुरा।
छोड़ेंगे कतई नहीं करेंगे यह हिसाब पूरा।
पैंतालिस जवानों के शव के बदले।
ढ़ेरों सबक मिलेंगे नहले पे दहले।
मुहब्बत से सनी तारिख को मातम में बदल दिया।
होते कौन हो जो तुने ऐसा सितम दिया।
हिंद के टुकड़े पर जन्में आतंक के गढ़ते शायर।
मानों बाप पर खंजर चलाता बेटा हो ऐसे कायर।
आदिल तुम्हें शर्म नहीं,ईमान नहीं हया नहीं।
क्षमाशील हिंद है मेरा,तेरे दिल में दया नहीं।
शहीदों के परिवारों के लगेगी तुझे बद्दुआएं।
तेरी बेरहमी को खुदा भी ना माफ कर पाएं।
-चेतना सिंह,पूर्वी चंपारण।