14 फरवरी, हाँ वो प्यार का सबसे खास दिन
सबसे यादगार मनाने का हम तो बस सोचते ही रह गए
प्यार के इस सबसे प्यारे दिन में
असली मुहोब्बत तो हमारे पुलवामा अटैक के शहीद निभा गए।
हमने तो मुहोब्बत बस इंसानों से की
कुछ ने प्रेमिका से की तो, कुछ ने अर्धांगनी से की
कुछ अपनी माँ को ही सच्ची मुहोब्बत बतला गए
लेकिन सबसे अलग मुहोब्बत तो हमें हमारे शहीद ही सिखा गए
इनकी मुहोब्बत का कर्ज जो पूरे देश पे है
कभी कोई उसे उतार नही सकता
जो मुहोब्बत इनकी भारत माता के लिए
वैसी मुहोब्बत कोई करके दिखा नही सकता
भूल के इनके बलिदानों को
मैं कैसे वैलेंटाइन डे मनाऊँ
देख के इनकी मुहोब्बत सच्ची
मैं हर दम अपना शीश झुकाऊँ
आज भी सोचती हूँ तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं
कैसे इनके घरवाले इनकी मौत को स्वीकार कर पाते हैं
कितनी ही सुहागनें आज के दिन विधवा हो गई थी
जब पुलवामा अटैक में हमारे सैनिकों को वीर गति प्राप्त हुई थी
लोग कश्मीर की वादियों में घूमने को जाते हैं
लेकिन हमारे सैनिक देश की रक्षा को जाते हैं
इनके एक दिन का भी कर्ज हम उतार नही सकते
ईश्वर के बाद यही पूजनीय हैं ज्यादा सबसे।
कोमल भलेश्वर