तू ऐसा बना दे माँ, इंसान को।
वह भूले नहीं, अपने ईमान को।।
अपने फर्ज को, अपने कर्ज को।
नहीं भूले , अपनों के अहसान को।।
तू ऐसा बना दे माँ—————-।।
वह अपनी खुशी, सबको बांटे यहाँ।
दूसरों के दुःखों को , वह बांटे यहाँ।।
समझे जज्बात, हर आदमी का वह।
नहीं बसने दे , मन में अभिमान को।।
तू ऐसा बना दे मॉं—————–।।
भूले- भटके को राह वह, दिखाये सही।
ज्ञान की रोशनी वह, जलाये सही।।
नहीं हो भार वह, इस धरती पर।
जिंदा रखें वतन के वह, सम्मान को।।
तू ऐसा बना दे माँ—————–।।
उसके सपनों में हो , सबकी हंसी।
मांगे अपनी दुहा में वह, सबकी खुशी।।
नहीं किसी का बहाये , लहू वह यहाँ।
नहीं भूले कभी अपने, भगवान को।।
तू ऐसा बना दे माँ—————–।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *