ढ़लती शाम
सूरज का साथ
क्षितिज से मुलाकात
खारा पानी
हाथों में हाथ
हसीन सा ख्वाब
उर की धड़कन
दरिया-ए-इश्क
उमड़ता प्यार
अनकही बातें
अधर पर तेरा नाम
छुपे ना अब जज्बात
बन कर तेरा साया
झूमें संग तेरे
सीने से लग
इश्क में इक बार फिर
फना हो जाए हम
महकते अल्फाजों में
एहसासत में,एतबार में
उम्र के हर पड़ाव में
वादा-ए-वफा के कसीदे
लिख लें हम हर करार में
आरती झा(स्वरचित व मौलिक)
दिल्ली
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