कुछ कहानियां का श्रोता,
वो उन वेश्याओं को चुनता है,
जो उसे किसी सर्द सी दोपहर में,
गरम गोश्त के जैसे मिली थी।
न की उन वेश्याओं को,
जो उसे शराफ़त का लिहाफ ओढ़े,
अपने नंगे किरदार के तले,
खुद को छिपाते मिली थी।
फिर एक सवाल और भी है,
की इन सिसकती कहानियों की पात्रता क्या थी?
वैश्यायें जिन्हें
बस नंगे जिस्म की कीमत पता है?
या फिर वैश्यायें
जिन्हें बस नंगे जिस्म की ही कीमत मिली है?
– काफ़िर