साहित्यिकार व़ो ही रचता जो समाज उसे दिखाता है
साहित्यिकार पारदर्शी , दूरदर्शी , निर्भीक होकर
बेधड़क, बेबाक होकर अपनी कलम चलाता है
वो सत्य लिखने से कभी नहीं घबराता है
अपनी दमदार लेखनी से सबकी पोलपट्टी सरेआम खोलता है
साहित्यकार हर दिन एक नया इतिहास रचता है
समाज मे हो रहे कुकृत्यो , बर्बरता, असभ्यता ,नृशंसता पर आवाज उठाता है
महसूस कर भावनाओं को इस कद्र हुबहू कागज पर उतार देता है
साहित्य समाज को एक नई दिशा देता है
साहित्यकार अथक , अविराम , अनवरत अपनी लेखनी से नये आयाम रचता है।
साहित्य के माध्यम से हमेशा नयी चेतना जगाता है ।
शिल्पा मोदी✍️✍️