सड़क पर गिरा वो नौजवान गबरु 
  फेंक कर जिसको एक ट्रकभागा जा रहा था
 खून से लहूलुहान दर्द से कराहते छटपटाते 
और मन ही मन बड़बड़ा रहा था।
मां नौकरी मिल गई
 मां अब हम भी अच्छे से जियेंगे,
 मां अब हम भी रोज रोटी खाएंगे
 मां तुम्हारी तपस्या रंग लाई 
 मेरी मेहनत की कभी तो होगी कमाई
 मां खाओ मिठाई।
झर झर बहता खून सड़क को रंगता जा रहा था
 भीड़ का एक रेला आ रहा था दूसरा जा रहा था
 लोग लगातार फोटो ले रहे थे 
और आगे सोशल मीडिया पर भेज रहे थे
 हजारों लाइक कमेंट आ रहे थे 
आंसू भरी आंखें जुड़े हाथों की इमोजी
 लगातार भेजे जा रहे थे 
और कुछ महान लोगों ने तो उसकी आत्मा की शांति के लिए रेस्ट इन पीस के मैसेज भी भेज दिए थे।
पर हाय शुष्क संवेदना हीन
 बगैर आत्मा के जीते लोग
 दया करुणा सोशल मीडिया पर भेजकर महान बन रहे थे पर उस मां के लाल की मदद नहीं कर रहे थे।
और वो मां जिसका जीवन, जिसकी तपस्या, जिसका दूध
  सड़क पर बह रहा था 
मुझे लग रहा था कि मेरा हिंदुस्तान कहीं ढह रहा था।
 किसी असहाय को जरूरत है गर खून की 
मत दिखाओ अपनी प्यास सोशल मीडिया के जुनून की,
 उसे मत करो सोशल मीडिया पर 
अपने चाहने वालों में मशहूर 
करो मदद समय रहते ताकि
 हिंदुस्तान कर सके तुम पर गुरुर।
स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा
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