कल थे जो अंजान मुझसे,

आज पल भर में मेरे हो गए,
जिनको देखा न था आज से पहले,
कभी आज वो जान हमारी बन गए।।
मेरे साथी मेरे हमदम तेरे साथ के लिए
मैंने बाबुल का आँगन छोड़ा हैं।
जिस बगिया में थी जड़ें मेरी,
आज मैंने उससे मुँह मोड़ा है।।
कभी न छोड़ना साथ मेरा 
जीवन चाहें जैसा हो,
बनकर सैदेव हौसला मेरा ,
मेरे साथ तुम खड़े रहना।।
नही चाहिए कोई भेंट तुमसे
बस तुम मेरा सम्मान करना,।।
बना रहे मान मेरा,
ये सबसे बड़ा उपहार होगा।।
नही माँगती मैं जमाने भर की खुशियाँ,
मेरी मुस्कान तो सिर्फ तुमसे है।।
फीका है ज़माने रंग यहा,
एक तेरे इश्क़ का रंग सबसे गहरा है।।
सोना चांदी हीरे मोती ये मेरा श्रृंगार नही, 
मिले जो तेरे बाहों हार पूर्ण हो हर श्रृंगार मेरा।।
थक हार कर जब तू मेरे कंधे पर अपना सर रखता है,
दिनभर की सारी बाते जब तू मेरी सुनता है,
इतराती हूँ अपने भाग्य पर मैं की मैंने तुझको पाया है।।
तेरे सीने पर सर रखकर हर गम मैं भूल जाती हूँ,
ता- उम्र  तेरा साथ रहे यही दुआ मैं करती हूँ।।
बनकर सुहागन इस दुनिया से जाऊँ
ये मेरा सौभाग्य हो,
सुमेधा शर्व शुक्ला(हरियाणा)
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