हक़ है उन्हें भी जीने का,
   अरमानो को सँवार क़र
खुल के मुस्कुराने का,
  सतरंगी रंगो में ढल क़र,
जीवन की धूप छाँव में जीने का,
अभिशाप नहीं है,
  बस किस्मत की अपनी करनी है,
विधवा है तो क्या कोई अछूत नहीं,
 परछाई से भी दूर भागती, देखो दुनिया सारी है,
   क्या कसूर है मासूम का ,
जो देखती दुनिया हैवानियत से,
सशक्त और सम्पूर्ण है नारी,
मत समझो इसे अबला सी 
क्या जीवन खत्म हो गया,
   यूँ ही किसी के जाने से,
उनके संग क्यों इनका जीवन भी
  मृत भांति ही समझा गया,
जीवन जीने का हक़ है इन्हे,
श्वेत रंग में भरक़र रंगों की सौगात,
जीवन के पथ पर हक़ है मुस्कुराने का,
सोलह श्रृंगार बिना नारी है अधूरी
इनको भी हक़ है अपना जीवन जीने का।
 
निकेता पाहुजा
रुद्रपुर उत्तराखंड
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

<p><img class="aligncenter wp-image-5046" src="https://rashmirathi.in/wp-content/uploads/2024/04/20240407_145205-150x150.png" alt="" width="107" height="107" /></p>