वीर सपूत थे भारत माँ के, नाम चंद्रशेखर आज़ाद।
चबवा दिए चने गोरों को, फैलाएं जो सदा  विवाद।।
सीना ताने  अकड़  चाल में,कर न सके कोई भी वार।
धूल चटा दी अंग्रेजों को, जड़ें हिलाकर फेंके पार।।
आजाद बोले नाम अपना, स्वतंत्रता  है बाप नाम।
भारत माता का बेटा हूँ, जेल कहा निवास का नाम।।
शौर्यपुंज थे शक्ति पुंज तुम, करते नमन  झुका
कर माथ।
सदियों तक पूजेंगे भ्राता, अर्ध्य चढ़ाएं दोनों हाथ।।
वंदे मातरम गरज सुनके ,  दहली अंग्रेजी सरकार।
सहमे शातिर धूर्त फिरंगी, जो थे बहुत बड़े मक्कार।।
दिए प्राण आजादी खातिर, आये नहीं फिरंगी हाथ।।
अंतिम गोली मारी खुद को, छोड़ गए हम सबका साथ।।
क्रांति वीर हे लाल धीर , गए मात का कर्ज उतार।
माँ भारती हो गई आहत,अल्फ्रेड बहा खून की धार।
बिना बताए किरिया कर दी, आ गया जनता में उबाल।
निकल पड़े घर से सब बाहर, आँखन आँसू रहे निकाल।।
माटी खन के घर को ले गए,और लगाया अपने भाल।
वह भूमि अति पावन हो गई, सोया जहाँ देश का  लाल।।
याद करेंगे श्रद्धा  पूर्वक, प्यारे प्रखर  वीर आजाद। 
सभी शोक में डूबे तेरे, तुमपर सदा देश को नाज।।
शौर्यपुंज हे शक्ति पुंज तुम,करते नमन झुकाकर माथ।
सदियों तक पूजेंगे भ्राता, अर्ध्य चढ़ाएं दोनों हाथ।।
भ्रात तुम्हारे हम कृतज्ञ हैं, गाते मिलकर गौरव गान।
कटी गुलामी की जंजीरें, अमर रहो हे देश के शान।।
स्नेहलता पाण्डेय ‘स्नेह’
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