हे!भोले शिव है विनय,तुम हो कृपानिधान।
तुम बनकर रहना सदा,मेरे प्रिय भगवान।।
चेतनता की रात है,शिव विवाह की बात।
जग जड़ था चेतन हुआ,यह सबको सौगात।।
शिव गौरा कल्यामणमय,सच में पावन मेल।
इक बाती सी जल रहा,दूजा उसका तेल।।
हे! शिवशंकर,है नमन् ,करना जगकल्याण।
पाप मारता है हमें,नित ही तीखे बाण।।
गौरापति,गौरीश तुम,रखना मेरी लाज।
गिरा झूठ,अन्याय पर,हे! प्रभुजी अब गाज।।
गंगाधर,डमरू बजा,तभी डरेगा पाप।
जो नैतिकता नहिं रखें,दे दो उनको शाप।।
विषय-वासना बढ़ रही,हैं कपटी आसार।
नयन तीसरा खोलकर,कर डालो संहार।।
अंधकार ने ग्रस लिया,सिसक रहा उजियार।
कौन करेगा सत्य से,तुम जैसा अब प्यार।।
औघड़दानी जय करूँ,देते तुम वरदान।
इसीलिए हम सब करें,तेरा नित गुणगान।।
महादेव शिव की दया,करते जो उपकार।
जिनके कारण हो गए,स्वप्न सभी साकार।।
शिवबाबा मंगलमयी,औघड़दानी नाथ।
नहीं छोड़ना साथ तुम,थामे रखना हाथ।।
भोलेभंडारी करूँ,मैं तेरा यशगान।
तुम हो मालिक़ तुम सदा,रखते सबकी आन।।
                       -प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे
                               प्राचार्य
शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
                        मंडला,मप्र-481661
                  (
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