जिंदगी तुमसे, नहीं कोई शिकायत।
जिंदगी तुमसे, बहुत है मोहब्बत।।
जिंदगी तुमने, मुझको जीना सिखाया।
जिंदगी तुमसे, बहुत है मोहब्बत।।
जिंदगी तुमसे———————।।
जुल्म मुझपे हुए हो , दुनिया में चाहे।
धोखा मुझको दिया हो, दोस्तों ने चाहे।।
अपनों ने चाहे , नहीं प्यार दिया हो।
जिंदगी तुमने की है, मेरी इफाजत।।
जिंदगी तुमसे———————-।।
मुसीबत के दिनों में, साथ तुमने निभाया।
गुमराह नहीं होने दिया, सही रास्ता दिखाया।।
रखा मुझको दूर , पाप और गुनाह से तुमने।
जिंदगी तेरी ही, करता हूँ इबादत।।
जिंदगी तुमसे———————-।।
मुझको अकेला कभी ,नहीं होने दिया तुमने।
हिम्मत,विश्वास – जोश , मुझमें जगाया तुमने।।
मुझको तुमने बनाया, कामयाब और महशूर।
जिंदगी तेरी यही, लिखी है इबारत।।
जिंदगी तुमसे———————।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)