सात सुरो के सगम से बनता है एक मधुर गीत,
अंतरात्मा की आवाज से मधुर संगीत,
ना रंग रूप, ना आकार विकार, ना भेदभाव,
इतनी मीठी होती सुर , कि ईश्वर भी होते खुश,
जब खनकते है सुर, छिड़ते है साज, मिलते है ताल,
तो बारिश भी न रोक पाए रिमझिम बुदो की तार,
कभी बासुरी की गुंज पे, कभी वीणा की धुन पे,
कभी ढोल मजींरे, कभी तबले की थाप पे,
कभी सुर सितार से बजते ,
तो घुघरूओ सा झूम उठता मन मयूर सा नाच उठता ,
संगीत का रिश्ता है सुकून से,
संगीत के हर गीतों मे मौसम बसते है,
संगीत पूजा है माँ सरस्वती का आशीर्वाद हैl
सात सुरों का मिलन है संगीत ।।