नए नेताओं के अलग-अलग विचार( द्वितीय भाग) – 
आप एक कवि हैं । कवित्व आपके विचारों में सभी जगह नजर आता है। साथ ही यह धर्म के बहुत बड़े उपासक हैं। यह ‘शक्ति’ धर्म चलाना चाहते हैं। यह कहते हैं “इस समय हमें शक्ति की अत्यंत आवश्यकता है”। वह ‘शक्ति’ शब्द का अर्थ केवल भारत के लिए इस्तेमाल नहीं करते। लेकिन उनको इस शब्द से एक प्रकार की देवी का, एक विशेष ईश्वरीय प्राप्ति का विश्वास है। वह एक बहुत भावुक कवि की तरह कहते हैं- 
एकांत में भारत की आवाज मैंने सुनी है। मेरे दुखी मन में कई बार यह आवाज सुनी है कि ‘आजादी का दिन दूर नहीं’ ….कभी-कभी बहुत अजीब विचार मेरे मन में आते हैं और मैं कह उठता हूं-  हमारा हिंदुस्तान पाक और पवित्र है, क्योंकि पुराने ऋषि उसकी रक्षा कर रहे हैं और उनकी खूबसूरती हिंदुस्तान के पास है। लेकिन हम उन्हें देख नहीं सकते। 
यह कवि का विलाप है कि वह पागलों   या दीवानों की तरह कहते रहे हैं “हमारी माता बड़ी महान है। बहुत शक्तिशाली है। उसे परास्त करने वाला कौन पैदा हुआ है”। इस तरह वह केवल मात्र भावुकता की बातें करते हुए कह जाते हैं- 
हमें अपने राष्ट्रीय जन आंदोलन को देश सुधार का आंदोलन बना देना चाहिए। तभी हम वर्गयुद्ध के 
बोलशेविजम के खतरों से बच सकेंगे। वह इतना कह कर ही कि गरीबों के पास जाओ ,गांव की ओर जाओ, उनको दवा- दारू मुफ्त दो -समझते हैं कि हमारा कार्यक्रम पूरा हो गया। वह छायावादी कवि है। उनकी कविता का कोई विशेष अर्थ तो नहीं निकल सकता, मात्रदल का उत्साह बढ़ाया जा सकता है। बस पुरातन सभ्यता के शोर के अलावा उनके पास कोई कार्यक्रम नहीं। युवाओं के दिमागो को वे कुछ नया नहीं देते। केवल दिल को भावुकता से ही भरना चाहते हैं। उनका युवाओं में बहुत असर है और भी पैदा हो रहा है। उनके दकियानूसी और संक्षिप्त से विचार यही है, जो कि हमने ऊपर बताए हैं। उनके विचारों का राजनीतिक क्षेत्र में सीधा असर ना होने के बावजूद बहुत असर पड़ता है। विशेषकर इस कारण कि नौजवानों, युवाओं को ही कल आगे बढ़ना है और उन्हीं के बीच इन विचारों का प्रचार किया जा रहा है। 
अब हम श्री सुभाषचंद्र बोस और श्री जवाहरलाल नेहरू के विचारों पर आ रहे हैं। दो-तीन महीने से ‘आप’ बहुत ही कॉन्फ्रेंसओं के अध्यक्ष बनाए गए और ‘आपने’ अपनें-  अपने विचार लोगों के सामने रखें। सुभाष बाबू को सरकार तख्तापलट गिरोह का सदस्य समझती है और इसलिए उन्हें बंगाल अध्यादेश के अंतर्गत कैद कर रखा था। ‘आप’ रिहा हुए और गर्म दल के नेता बनाए गए। ‘आप’ भारत का आदर्श पूर्ण स्वराज्य मानते हैं, और महाराष्ट्र कांफ्रेस में अध्यक्षीय भाषण में अपने इसी प्रस्ताव का प्रचार किया।
पंडित जवाहरलाल नेहरु स्वराज्य पार्टी के नेता मोतीलाल नेहरू जी के सुपुत्र हैं। बैरिस्टरी पास है। ‘आप’ बहुत विद्वान हैं, ‘आप’ रूस आदि का दौरा कर आए हैं। ‘आप’ भी गर्मदल के नेता हैं और मद्रास कॉन्फ्रेंस में आपके और आपके साथियों के प्रयासों से ही पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव सवीकृत हो सका था। आपने अमृतसर कांफ्रेंस के भाषण में भी इसी बात पर जोर दिया। लेकिन फिर भी इन दोनों सज्जनों के विचारों में जमीन आसमान का अंतर है। अमृतसर और महाराष्ट्र में इन दोनों अध्यक्षों के भाषण पढ़कर ही हमें उनके विचारों का अंतर स्पष्ट हुआ था। 
क्रमशः
गौरी तिवारी
 भागलपुर बिहार
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