मत समझो कमजोर मुझे मैं नही अबला बेचारी हूँ।
रुख तूफानों का मोड़ने  वाली मैं भारत की नारी हूँ।
मैं लक्ष्मी हूँ मैं सरस्वती हूँ मैं शिव की अर्धांगिनी हूँ।
वेद शास्त्र की  बनी प्रणेता  ऋषियों की वामांगी हूँ।
कर्तव्य धर्म  समझाने  वाली  कैकेयी  सी रानी हूँ।
धर्म नीति बतलाने वाली मन्दोदरी  सी महारानी हूँ।
पिय  वियोग  बिष पीने  वाली  मैं उर्मी सी नारी हूँ।
छोड़े महलों के सुख सारे वो सीता सी सुकुमारी हूँ।
वन-वन ब्रह्म नचाने वाली  बरसाने की ग्वालिन हूँ।
कृष्ण  प्रीति रंग रंगने वाली  राजस्थानी जोगिन हूँ।
सत्य की राह दिखाने  वाली  कुंती सी  महतारी हूँ।
कौरव वंश  जलाने  वाली  द्रोपदी  सी चिनगारी हूँ।
ज़हर  त्याग का  पीने  वाली  यशोधरा  से  नारी हूँ।
फिरंगियों को धूल चटाई  बुंदेलखंड  की अंगारी हूँ।
दीप दान करवाने वाली पन्ना धाय  सी  बलिदानी हूँ।
भरत से सुत को जननेवाली शकुंतला सी कहानी हूँ।
जिन आंखों में  बहती ममता  उन आंखों में हाला हूँ।
हवस दुशासन थर-थर कांपे वो अग्नि की ज्वाला हूँ।
सृष्टि की सृजन कारिणी हूँ मैं ही शिव का शिवाला हूँ।
सर्वस्वप्रेम से करूँ समर्पित नफरत का बिष प्याला हूँ।
मंजिल हो चाहे कितनी दूर रास्ता खुद ही बनाती हूँ।
साइना, सिंधु,मिथाली, मैरीकॉम सा नाम कमाती हूँ।
मीराबाई, लता,लबलीना,बन जब जिद पर आती हूँ।
पूजी जाती फिर घर-घर में भारत का मान बढाती हूँ।
स्वरचित एवं मौलिक
शीला द्विवेदी “अक्षरा”
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