एक ही दिन क्यों मनाए हम ,महिला दिवस

जबकि हर दिन महिलाओं का होता है
दिन की शुरुआत होती है महिला
सुबह की आरती ,शंखनाद होती है महिला
संध्या कि संझाबाती ,तुलसी का पौधा होती है महिला
हर रंग रूप ,हर किरदार मे अपना फर्ज निभाती है महिला
सुख -दुख मे साथ निभाती है महिला
नदियांँ की बहती धारा होती है महिला
अपने अस्तित्व को भूलाकर हर रिश्तों मे हिल मिल जाती है महिला
झरनों की ध्वनि होती  है महिला
धरती का साज श्रृंँगार होती है महिला
अपने घर ,अपने संसार की रौनक होती है महिला
अरमानो से सुंदर ,सलोना ,आशियाना सजातीं सँवारती है महिला
अपने बच्चों की निःस्वार्थ पालनहारी होती है महिला
हर गम और हर खुशी मे  साथ निभातीं है महिला
कितनी अनकही बातें मन मे भुलाकर
सबके मन की बात को समझती आई है महिला
फुलों की क्यारी ,बागों की बहार होती है महिला
फाल्गुन की फुहार , दीपावली की रोशनी होती है महिला
हर क्षेत्र मे अपना लोहा मनवातीं है महिला
समस्त श्रृष्टि की जन्मदात्री , जगद्धात्री होती है महिला
सर्वशक्तिमान , आत्मनिर्भर , प्रतिभावान , होती है महिला
हो सके तो शब्दों से ही नहीं , विचारों से ही नहीं अपितु
दिल से ,निगाहों से भी महिलाओं का सम्मान करो।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
शिल्पा मोदी ✍️✍️
मेरी प्यारी सखीयों ,बहनो एवं आदरणीया को 
आप सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाइएयांँ एवं शुभकामनाएंँ
सिर्फ आज ही नहीं ,कल नहीं , हर दिन हमारा है तो अपनी जिंदगी का हर दिन ,हर क्षण ,हर पल अपनी मौज से जिएँ ।
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