महिलाएं चाहे सिर्फ सम्मान।
ना चाहें वह बराबरी का मान।
बस मत करो उसका अपमान।
फिर पूजा पाओ चीज क्या मान।
सिर्फ मनाने से महिला दिवस।
नहीं सुधरेगा उसका दिवस।
वह ना सिर्फ चीज है भोग।
ना है वह समाज का रोग।
अपने अहं से उसे ना दबाओ।
अपने हठ से उसे ना उबाओ।
-चेतना सिंह,पूर्वी चंपारण