(जय भवानी जय शिवाजी) –

कुछ समय बाद शिवाजी ने अपने राज्य का विस्तार दक्षिण पश्चिम में करते हुए जावली राज्य को अपने अधिकार में ले लिया। साथ ही उनकी सेना ने जुन्नार नगर से ढेर सारी संपत्ति के साथ 200 घोड़े को लूट लिया । इसके अलावा अहमदनगर से 700 घोड़े, चार हाथी भी लुटा।
दक्षिण में मुगलों की अनुपस्थिति के कारण उन्होंने दक्षिण कोंकण पर आक्रमण कर और जीत कर अपने मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। इस जीत से उन्होंने पुर्तगालियों को भी झुकने के लिए मजबूर किया। साथ ही कल्याण और भिवंडी को जीतने के बाद वहां नौ सेना अड्डा बना दिया।
अब तक वे 40 दुर्ग जीत चुके थे । 

सूरत को लूटा-
सन 1670 में सूरत नगर को दूसरी बार शिवाजी ने लूटा। नगर से 132 लाख की संपत्ति शिवाजी के हाथ लगी और लौटते वक्त उन्होंने मुगल सेना को सूरत के पास फिर से हराया। सूरत के लूट से औरंगजेब बहुत गुस्से में था। उसने जयसिंह को सूरत का फौजदार बनाया। जयसिंह ने विदेशी ताकतों और छोटे सामंतों को अपने साथ लेकर शिवाजी पर आक्रमण किया। शिवाजी ने हार की संभावना देखकर संधि का प्रस्ताव भेजा। फिर जून 1665 में हुई इस संधि के अनुसार उनको 23 दुर्ग मुगलों को देना पड़ा और इस तरह शिवाजी के पास केवल 12 ही दुर्ग बचे।
फिर कुछ समय के बाद शिवाजी को आगरा बुलाया गया ,जहां उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल रहा था इसलिए उन्होंने भरे दरबार में औरंगजेब को विश्वासघाती बताया। जिस से गुस्सा होकर औरंगजेब ने उन्हें नजरबंद कर दिया वह तो उन्हें मारना चाहता था पर शिवाजी कैसे भी करके वहां से भाग गए और फिर वहां से बनारस , गया होते हुए रायगढ़ लौट गए।

शिवाजी का राज्याभिषेक-
शिवाजी का राज्याभिषेक होना था पर ब्राह्मणों ने उनके क्षेत्रीय ना होने से विरोध किया। पर अंत में ब्राह्मणों को 100000 हूणों का रिश्वत देकर राज अभिषेक किया गया। पर उनके राज अभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया। और फिर से 4 अक्टूबर 1674 को उनका राज्याभिषेक किया गया। 1674 के 
गिषम ऋतु में शिवाजी ने धूमधाम से सिंहासन पर बैठकर स्वतंत्र प्रभुसत्ता की नीव रखी। दबे कुचले हिंदू जनता को उन्होंने भय से मुक्त किया। हालांकि ईसाई और मुस्लिम शासक बल प्रयोग के जरिए बहुसंख्यक जनता पर अपना मत थोपते अतिरिक्त कर लेते थे। जबकि शिवाजी के शासन में इन दोनों संप्रदायों के आराधना स्थलों की रक्षा ही नहीं की गई बल्कि धर्मांतर रहित हो चुके मुसलमानों और ईसाइयों के लिए भयमुक्त माहौल भी तैयार किया । शिवाजी ने अपने आठ मंत्रियों की परिषद के जरिए उन्होंने 6 वर्ष तक शासन किया उनकी प्रशासनिक सेवा में कई मुसलमान भी शामिल थे। शिवाजी पर मुस्लिम विरोधी होने का दोषारोपण किया जाता है पर यह सत्य इसलिए नहीं है क्योंकि उनकी सेना में तो अनेक मुस्लिम नायक एवं सेनानी थे ही अनेक मुस्लिम सरदार और सुबह दारू जैसे लोग भी थे। वास्तव में शिवाजी का सारा संघर्ष उस कट्टरता और उद्दंडता के विरुद्ध था जिसे औरंगजेब जैसे सास को और उसकी छत्रछाया में पलने वाले लोगों ने अपना रखा रखा। शिवाजी के पुत्र का नाम संभाजी था संभाजी शिवाजी के जेष्ठ पुत्र और उत्तराधिकारी थे जिसने 1680 से 1689  तक राज्य किया। संभाजी में अपने पिता के कर्मठता और दृढ़ संकल्प का अभाव था संभाजी की पत्नी का नाम येसुबाई था, उनके पुत्र और उत्तराधिकारी राजाराम थे। संभाजी को विश्व का प्रथम बाल साहित्यकार माना जाता है। 14 वर्ष की आयु तक बुधभूषणम ,नायिका भेद सात सतक इत्यादि ग्रंथों की रचना करने वाले संभाजी विश्व के प्रथम बाल साहित्यकार थे। 

क्रमशः 

गौरी तिवारी 
भागलपुर बिहार
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