ढूढते हैं हम वो होली कहाँ गयी,
रंगीन चौक की रंगोली कहाँ गयी।
रह गए सब फोन पर बोलकर हैप्पी होली, 
बच्चो की वो टोली कहाँ गई।
   गुलाल है अबीर है अफसोस तुम नही,
पूछता है दिल वो हमजोली कहाँ गई।
  रँग भर भरके सूरतें होती थी बे पहचान,
पर दिल से मिलन बाली वो  बोली कहाँ गई।
हो गए ने फैशन नए स्टाइलिश लुक,
  बदल गए रँग ढंग, वो सूरतें भोली कहाँ गई।
रह गए सब अपनो में सिमटकर,
वो चौपार वो ठिठोली कहाँ गई।
 अन्जू दीक्षित,
उत्तर प्रदेश।
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