ये जीवन नश्वर है । कल किसने देखा है । इसलिए लालच, ईर्ष्या, द्वेष, अहम् को छोड़ो और बस प्रेम करो । सबसे, ईश्वर से । इसी पर एक गीत प्रस्तुत है ।
गीत : जनाजे के लिए कंधे, कोई बस चार कर लेना
अगर जिंदा रहोगे तो, फिर बाकी काम कर लेना ।
किसी की यादों में रहना , वहीं मुकाम कर लेना ।।
ना ऊधो का है कुछ लेना , ना माधो को है कुछ देना
जनाजे के लिए कंधे, कोई बस चार कर लेना ।।
किसी को फ़िक्र धंधे की , कोई शौकीन पूरा है ।
किसी को ऐसा लगता है, वो घर में भी अधूरा है ।
ठसक छोड़ो चलो घर को , वहां आराम कर लेना
जनाजे के लिए कंधे , कोई बस चार कर लेना।।
बड़े ज्ञानी हो तुम माना, जो दिनभर ज्ञान पिलाते हो
कभी टिकटाॅक कभी फेसबुक पे, वीडियो तुम बनाते हो ।
संदेशों पर कभी खुद भी , अमल थोड़ा सा कर लेना ।
जनाजे के लिए कंधे , कोई बस चार कर लेना ।।
सुनो भैया , सुनो भाभी , कहा इतना सा मानो तुम।
आत्मा अमर बदन नश्वर, इस सत्य को पहचानो तुम
थोड़ी पूजा , थोड़ी मस्ती , थोड़ा रोमांस कर लेना।
जनाजे के लिए कंधे , कोई बस चार कर लेना ।।
हरिशंकर गोयल “हरि”