युग बदला पर ना बदली,
नारी की करुण कहानी।
आंचल में ममता है और ,
आंखों में नीर का पानी ।।
पीरअजब सी उठती मन में, किसने ये रीत बनाई।
ससुराल मायका दोनों में,
क्यों? कहते लोग पराई।।
मां बाप के मान पर आँच ना आए,
चुपचाप ये दुःख सहती है ।
दहेज लोभीयों के घर में, अक्सर जिंदा जलती है।।
नारी के बिना नहींहो सकता, सृजन जगत का।
क्यों? इस जग में,
आधा-आधा है अस्तित्व उसी का।।
कहीं पराए घर से आई
कहीं पराया धन कहते।
जीवन अक्सर बीते उसका, दुःख दर्द और ताने सहते।
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