आओ भक्तों कथा सुनाउं ,
खाटू श्याम भगवान की ।
प्रेम से बोलो जय जय बोलो, खाटू श्याम भगवान की।।
 द्वापर युग में पांडु कुल में ,
जन्मे वीर महान ।
नाम बर्बरीक सभी कला में, निपुण अति बलवान।
 माता मोरवी पिता घटोत्कच्छ भीम पौत्र कहलाते ।
पांचो पांडव के आंख के तारे ,
श्री कृष्ण भक्त कहलाते ।
 ज्ञानी वीर बलिदानी की जय बोलो खाटू श्याम की ।
प्रेम से बोलो जय जय बोलो, खाटू श्याम भगवान की।।
प्रथम गुरु दादी हिडिंबा,
 द्वितीय गुरु मां मोरवी।
 तृतीय  गुरु श्री कृष्ण थे,
 वरदान दिया मां वैष्णवी।
आदिशक्ति से मिला हुआ था, उनको एक वरदान।
तीनो लोक में रहा न कोई ,
वीर  उनके समान।
 जय बोलो मां आदिशक्ति की, जय बोलो खाटू श्याम की ।
प्रेम से बोलो जय जय बोलो, खाटू श्याम भगवान की।।
तीनो लोक में ऐसी शक्ति ,
ना थी किसी के पास।
 एक तीर से कर सकते थे ,
सारी सृष्टि का नाश।
एक समय भगवान ने ,
 कही बर्बरीक से एक बात।
 एक तीर से छेद दो ,
पीपल के सब पात।
एक पाती आ गिरी,
 चरणों में कृपा निधान की।
प्रेम से बोलो जय जय बोलो, खाटू श्याम भगवान की।।
एक तीर से छेद दिया ,
पीपल के सब पात।
फिर छेदा जो छिपा हुआ था, प्रभु चरणों में पात।
मान गए प्रभु जान गए ,
हैं बर्बरीक वीर महान।
पर सबके  सामने,
 ये संकट बडा महान।
पांडव के लिए खतरा थी,
 शक्ति बर्बरीक बलवान की।
 प्रेम से बोलो जय जय बोलो, खाटू श्याम भगवान की।।
जो हारेगा मैं दूंगा,
 उसका सदा ही साथ।
निर्बल और कमजोरों के,
 मैं रहूंगा सदा ही साथ।
ऐसी प्रतिज्ञा से बंधे थे,
बर्बरीक वीर महान।
पांडवों के सामने था ,
संकट बड़ा महान।
चर्चा बहुत सुनी थी सबने,
 बर्बरीक के दान की ।
प्रेम से बोलो जय जय बोलो, खाटू श्याम भगवान की।।
गुरु दक्षिणा में मांग लिया,
 प्रभु ने बर्बरीक का शीश ।
गुरु चरणों में रख दिया,
 बर्बरीक ने अपना शीश ।
तभी  प्रभु ने दे दिया,
 बर्बरीक को वरदान।
 कलयुग में पूजे जाएंगे,
 खाटू श्याम भगवान।
पूर्ण मनोरथ होंगे ,
जो पूजा करेगा खाटू श्याम की।
प्रेम से बोलो जय जय बोलो, खाटू श्याम भगवान की।।
🙏जय खाटू श्याम भगवान की🙏
स्वरचित व मौलिक रचना रचनाकार 
नूतन राय नालासोपारा (महाराष्ट्र )                           
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