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कोरोना में प्यार की हड़ताल हो गई,
हम रहे अकेले वो नैनीताल हो गई।
प्रेम किया आसमानों के जैसे हमनें,
फिर क्यों तुम सनम धरातल हो गई।
प्यार के वचन निभाने ,कसमें खाई थी,
दूरियां बढ़ी प्यार में, हड़ताल हो गई।
देखते ही रहते प्रिये सदा स्वप्न तुम्हारे ,
रश्मि हमारी जान बेमिसाल हो गई।
यादों पर भी यादों का प्रदा पड़ा रहा ,
सांसों के लिए भी ये दिल अड़ा रहा ।
करते रहे कामनाएं फिर मिलन की हम,
तुम हड़ताल के जैसे कैसे बदल गई ।
दीप प्यार का मन में  यूं जलता रहेगा।
तुम भी आओगी , चाहें कही चली गई।
अपनी रश्मि……
स्वरचित मौलिक १४ जी
रश्मि गुप्ता रिंकी 
खरगोन मध्य प्रदेश
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