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जानते है हम ये बहुत मुश्किल घड़ी है
तेरे मेरे दरमियाँ जो अभी आ खड़ी है
ना मुझपे यकीं है तेरा ना नफ़रत भी
समझ नहीं आता सनम ये कैसी तेरी आशिकी है
कभी लगता है सब सिमट गयीं है हालाते
तों कभी कभी और भी उलझी सी लगती है
ना पास होने की खुशी ना दूर होने अहसास दिल मे
सच मे हैंरा है हम की सनम ये कैसी बेखुदी है
किस तरह खोजाते है हम तेरे चाहत मे
हाँ माना ये पागल तुमसे कुछ नहीं कहती है
कैसा राज़ है तेरे मोहब्बत भी मेरे लिए
जो इतनी फ़ासलो मे भी मेरी साँसो मे महसूस होती है
ये उलझन,ये दूरियों का वजह भी गहरा है
दोष तेरा नहीं सनम मेरी किस्मत ही कुछ ऐसी है
जो पल भर की सुकून लिखा होता है मेरे हिस्से मे
दूसरे ही पल बदकिस्मती मुझसे सबकुछ छीन लेती है
कितना प्यार है मुझे भी तुमसे ओ जानेजाना
पढ लेना कभी आँखों मे जो हमेशा बयां करती है
अब तक नहीं आया बयां करना जुबाँ से अपनी
की ये नैना भी सनम तुमसे बेइम्तहा मोहब्बत करती है….!!
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नैना… ✍️✍️✍️
काल्पनिक….
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