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क्यूँ रूठा है वो मुझसे कुछ तो पता लगे
जाने क्या बात हुआ जो हर समा खफा लगे
कभी हर मौसम खुशनुमा लगता था इस दिल को
आलम अब ये है की अब बहारे भी पतझड़ से कम न लगे
क्यूँ खोगया वो हर लम्हा मेरा जो सिर्फ मेरा था
कहाँ गुम होगया वो राहें मेरी जो मंज़िल के बहुत करीब था
डूब रहे कश्ती मेरी बीच दरिया -ए -गम की गहराई मे
थक गए आंखें देखते हुए जो दूर दूर तक किनारा न मिले
क्यूँ कहते है लोग की हर मर्ज़ का दवा इस जहाँ मे है
काश मिले दवा दर्द -ए -दिल का भी जो सहना मुश्किल है
आसान नहीं होता जिना यहाँ मज़बूरी है मौत के साये मे
ये टिस भी गहरा इतना की इससे बड़ा दर्द कोई दर्द न लगे
हाँ माना दिल पागल होता है इश्क़ के मामले मे
सुनता नहीं किसीका बस खोया रहता है महबूब के ख्यालो मे
जहाँ रहम खुदा का भी नहीं होता वहाँ दिल एक से उम्मीद रखता है
एकरार -ए -मोहब्बत के आगे कोई दुआ भी दुआ न लगे
सोचते थे हम भी क्यूँ नहीं बन जाते ऊन खुदगर्जो जैसे
जो वक़्त के साथ अपनी राहें ज़िन्दगी भी बदल जाते है
इशारो इशारो मे जो कह गए रंग बिखेरते फूल दिल के गुलशन की
कुछ इस तरह प्यार की रस्मे निभा ए नैना अपने महबूब से
की तेरे बेइम्तेहाँ प्यार के आगे कोई शय उसे प्यारा न लगे…!!
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नैना… ✍️✍️✍️💌