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कैसे समझाएं ए दिल हम   तुम्हे,

यू न बहका कर महसूस कर उन्हें।

वो नही जानते राज़ -ए-वफ़ा तेरी,

हो न जाये कहीं हाय ये खबर उन्हें।

वो गुज़रते है जब -जब गली हमारे,

काफ़ी है देख लेते है इक नज़र उन्हें।

क्या फर्क पड़ता है वो भी चाहे हमें,

पर कौन चाहेगा यहाँ इस कदर उन्हें।

ज्यादा कुछ नही बस इतनी हसरत है,

ताउम्र चाहे   यूही हद से बढ़कर उन्हें।

उनके सिवा न कोई ख्वाब हो “नैना”,

मान बैठे है ज़िन्दगी से बढ़कर उन्हें…।।

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Naina✍️✍️✍️

काल्पनिक

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