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वो भी क्या दिलकश पल होते थे प्यार के हमारे
जब हम दोनों साथ साथ ख़ुश रहा करते थे
जाने किसकी नज़र लग गयीं मोहब्बत को हमारी
जो इतने दूर हुए की अब एक झलक को भी तरस जाते हैं
उनके यादों मे जिना, उनके ख्यालो मे खोना
अब भी ये दिल उनके अहसास मे धड़का करता हैं
इसे क्या मालूम की क्या से क्या होगया ज़िन्दगी पल मे
जिसे सोच कर भी हम अक्सर यूँ घबरा जाते हैं
कुछ चाहत के लम्हे देकर वो बेदर्दी हमारे
जाने किस दुनिया मे जाकर हमें इस तरह भूल बैठे हैं
आंखें देखती रहती हैं पल पल राहें उस मुसाफिर की
हवा के आहट से भी घर से गली तक भागे चले जाते हैं
चाहे जो भी समझें हो वो हरजाई हमें इश्क़ मे
लेकिन हमने तों उन्हें अपनी ज़िन्दगी मान बैठे हैं
गुज़रता नहीं हैं अब एक पल भी उनके यादों के बिन
गर भूलना भी चाहे तों सीने मे साँसे जैसे रूठ जाते हैं
लोग कहते हैं वो दोषी हैं तेरा जो इतना जख्म देगया
कैसे मान ले हम जो उनसे यूँ टूट कर प्यार करते हैं
कुछ पल की बसेरा लिए रुकते हैं परिंदे माना पर
ऊन कुछ लम्हो मे ही क्यूँ किसीके ज़िन्दगी बदल जाते हैं
हर पल होठों पर ख़ामोशी व आँखों से बहता आँसू
प्यार मे हम जैसे हाल और किसी का ना हो दुआ करते हैं
बहुत दिलकश अहसास बनके मिलते हैं दीवाने इश्क़ मे
पर प्रेम की निशानी मे “नैना” ताउम्र के लिए दर्द दें जाते हैं….!!
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नैना….. ✍️✍️
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